डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर, जिन्हें एस. जयशंकर के नाम से जाना जाता है, वे भारतीय विदेश सेवा के अनुभवी राजनयिक हैं। जनवरी 2015 से मई 2019 तक भारत के विदेश सचिव के रूप में उन्होंने अपनी सेवाएं दीं। उनका जन्म 9 जनवरी 1955 को हुआ था।

शिक्षा और करियर की शुरुआत

जयशंकर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से प्राप्त की और बाद में अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मास्टर्स की डिग्री जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से हासिल की। उन्होंने 1977 में भारतीय विदेश सेवा में प्रवेश किया और अपने लंबे करियर में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।

राजनयिक के रूप में योगदान

एस. जयशंकर ने चीन,

संयुक्त राज्य अमेरिका, चेक गणराज्य, और सिंगापुर में भारत के राजदूत के रूप में कार्य किया। वे विशेष रूप से चीन और अमेरिका में अपने कार्यकाल के लिए प्रसिद्ध हैं, जहाँ उन्होंने भारत-अमेरिका परमाणु समझौते में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके कार्यकाल के दौरान, भारतीय विदेश नीति में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन और विकास हुए।

विदेश सचिव के रूप में कार्य

विदेश सचिव के रूप में उनका कार्यकाल 2015 से 2019 तक रहा। इस दौरान, उन्होंने भारत की विदेश नीति को नई दिशा और गति प्रदान की। उनके नेतृत्व में भारत ने अनेक द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों को मजबूत किया

और विश्व मंच पर अपनी पहचान और प्रभाव को बढ़ाया। विशेष रूप से, उन्होंने भारत-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक और आर्थिक सहयोग को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी सूझ-बूझ और दूरदर्शिता ने भारत को वैश्विक मामलों में एक सक्रिय और प्रभावशाली भागीदार बनने में मदद की।

राजनीतिक करियर

2019 में, उन्होंने अपना राजनयिक करियर छोड़ दिया और भारतीय राजनीति में प्रवेश किया

। उन्हें भारतीय जनता पार्टी (BJP) से राज्यसभा सदस्य के रूप में चुना गया, और बाद में वे भारत के विदेश मंत्री बने। इस पद पर उन्होंने भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों और विदेश नीति को नए आयाम दिए। उनके नेतृत्व में, भारत ने कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर मजबूत स्थिति ली और वैश्विक समुदाय में अपनी भूमिका को और मजबूत किया।

उपलब्धियाँ और सम्मान

जयशंकर की विशेषज्ञता और योगदान को देश-विदेश में सराहा गया है। उन्हें उनके राजनयिक और राजनीतिक करियर में कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं। उनकी

कूटनीतिक सूझबूझ और वैश्विक दृष्टिकोण ने उन्हें एक अनुभवी और सम्मानित वैश्विक नेता के रूप में स्थापित किया है। उनका योगदान विशेष रूप से भारतीय विदेश नीति के विकास और नवीनीकरण में उल्लेखनीय है, जिससे भारत की वैश्विक उपस्थिति मजबूत हुई है।

निष्कर्ष

डॉ. एस. जयशंकर का जीवन और करियर एक ऐसे व्यक्तित्व का प्रतीक है जो अपने ज्ञान, दूरदर्शिता और समर्पण के बल पर भारत की विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में सफल रहे हैं। उनका करियर युवा भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो राजनयिक और राजनीतिक क्षेत्र में अपना योगदान देना चाहते हैं। उ

नके योगदान ने न केवल भारत की विदेश नीति को नए आयाम दिए, बल्कि विश्व राजनीति में भी भारत की प्रभावी भूमिका को मजबूत किया है। एस. जयशंकर का कार्य और उपलब्धियाँ भारत की आधुनिक विदेश नीति के इतिहास में स्थायी छाप छोड़ने वाली हैं।

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